शनिवार, जुलाई 31, 2010

देह की दलदल में फंसा नौनिहाल

सेक्स व्यापार और वह भी बच्चों का, इस वीभत्स सच्चाई से आप आंख नहीं चुरा सकते। जी हां अब यह माना जाने लगा है कि बच्चे बड़ों से ज्यादा समझदार हो गए हैं। लेकिन यह समझदारी हमारे ऊपर ही अब भारी पडऩे लगी है। अगर बात देश की जाय तो दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में तो बाकायदा यह एक कारोबार का रूप ले चुका है। गरीबी, आसानी से पैसा या फिर ब्रांडों की चकाचौंध जैसी बच्चों की कमजोरियों का फायदा उठाकर दलाल उन्हें अमीरों और विदेशियों को सप्लाई कर लाखों बना रहे हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में विदेशियों को देखते हुए दलालों की बांछे खिल गई हैं।

ऐसा नहीं है कि यह कोई ताजा तरीन और चौकाने वाला तथ्य है पर पीछे के सालों पर गौर करें तो लगभग आठ साल पहले चेन्नई में डच नागरिक विल हुएम की गिरफ्तारी ने पूरे देश को चौंका दिया था। विल को बच्चों का यौन-शौषण और इंटरनेट पर उन तस्वीरों को अपलोड करते हुए पकड़ा गया था। अब तक माना जाता था कि बीमार मानसिकता के ऐसे लोग सिर्फ विदेशों में ही बसते हैं, लेकिन अब यह व्यवसाय का रूप ले चुका है और आलम यह है कि भारत के कई शहरों में बच्चों के देह-व्यापार का जाल फैला चुका है। क्योंकि हिंदुस्तान में भी ऐसे अमीरों की कमी नहीं है, जो इस तरह के व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं। यही वजह है कि बिचौलियों के जरिए बाल देह का कारोबार पूरी तरह से फल-फूल रहा है।

दरअसल बच्चों का फायदा उठाना बहुत आसान है। गरीबी, आसानी से पैसा या फिर ब्रांडों की चकाचौंध-इस व्यापार में लिप्त दलाल बच्चों की इन्हीं कमजोरियों का फायदा उठाते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस व्यापार में गरीब परिवारों के ही बच्चे नहीं, बल्कि संपन्न परिवारों के बच्चे भी शामिल हैं। हम जिन बच्चों की रहे हैं उनमें से ज्यादातर अपने मां-बाप से पढ़ाई, डांस क्लास या फिर इसी तरह का कोई दूसरा बहाना बना कर घर से निकले थे। ये बच्चे दलालों की भाषा बोलते हैं और एक पेशेवर सेक्स वर्कर की तरह बात करते हैं।

मुंबई की क्राइम ब्रांच ने पीडोफीलिया से बच्चों को बचाने के लिए जो गाइडलाइन जारी किये हैं उसके मुताबिक इस रैकेट में शामिल लोग बच्चों को सेक्स की लत लगाते हैं। मसलन चैट, पोर्न साइट इत्यादि के जरिए बच्चों और टीएनजरों के मन में उत्तेजना पैदा करते हैं। फिर धीरे धीरे उन्हें घर से बाहर मिलने के लिए प्रेरित करते हैं। इस प्रकार बच्चों को सेक्स कारोबार का हिस्सा बना दिया जाता है।

अगर बात देश की राजधानी की जाए तो नोएडा में इस तरह के कई दलाल मिल जाएंगे जिनकी पहुंच कम उम्र की लड़की और लड़कों में कम नहीं है। जिनकी उम्र 14 साल से भी कम है, इस तरह के एक बच्चे से हमारी मुलाकात हुई जिसने बताया कि वह 14 साल का है और दरियागंज के एक स्कूल में 12वीं की पढ़ाई कर कर रहा है, लेकिन वह अपना नाम बताने से बचता रहा। बच्चा इस व्यापार में इसलिए उतरा, क्योंकि उसे यामहा फेजर मोटरबाइक खरीदनी थी। बच्चा हमसे एक अनुभवी सेक्स वर्कर की तरह बातें कर रहा था। वह खुद ही इतना अनुभवी हो गया है कि उसे मालूम है कि ग्राहकों से किस तरह और क्या बात करनी है।

इसी तरह कनॉट प्लेस जैसे स्थान पर एक डांस टीचर टीचर से मुलाकात हुई। वह बच्चों को डांस सिखाता था। उसके हाव-भाव को देख कर लगा कि वह भी दलाल है। हमारे यह स्पष्ट करने पर कि हमारी सिर्फ छोटे बच्चों में दिलचस्पी है। उसने बताया कि वह हमारे लिए ऐसे बच्चों का इतंजाम कर देगा। उसने बताया कि वह अपने डांस के छात्रों को लेकर आएगा। अपने छात्रों के इस तरह के इस्तेमाल की बात ने हमें हिला दिया। उसने हमें बताया कि बच्चे 10 से 12 साल के हैं और अपने आप कुछ करने की हालत में नहीं हैं। यानी इस व्यापार में बच्चों का यौन-शोषण भी खुल कर किया जाता है। जैसा कि बताया गया था कि बच्चे 10 से 12 साल के होंगे, लेकिन उनमें से एक तो आठ साल का ही लगा। हालांकि बच्चे छोटे थे, लेकिन कोई भी बच्चा बात करने में हिचका नहीं। बच्चों ने बताया कि उनके साथ चार-पांच बच्चे और हैं और सब हिप-हॉप सीख रहे हैं। टीचर का डांस देख कर ही बच्चों के मां-बाप ने डांस क्लास में बच्चों को डाला था। अब आप सोच सकते हैं कि उन मां-बाप पर क्या बीतेगी जिन्हें पता चलेगा कि उनके बच्चों का डांस के नाम पर यौन-शोषण किया जा रहा है?

इस व्यापार में अगर मालदार आसामी फंस जाए तो दलाल कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। बच्चों के लिए सेक्स का अनुभव पहली बार बताकर यह 5 हजार से 25 हजार रुपये तक की मांग करने के साथ यह भी सलाह देते हैं कि बच्चों को होटल के बजाय किसी दोस्त के घर ले जाना ज्यादा ठीक होगा। ऐसे में पुलिस रेड से बचा जा सकता है। अगर दलालों की बातों पर विश्वास किया जाए तो वह इस व्यापार में काफी समय से ताल्लुक रखते है और उसके ग्राहक सिंगापुर, पाकिस्तान, कनाडा, आस्ट्रेलिया और दुबई से आते हैं। मजे की बात यह है कि बच्चों के घरवालों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती। स्थिति की विडंबना यह कि जिन अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा को लेकर डांस टीचर जैसे व्यक्ति पर सौ फीसदी भरोसा है, वही उन बच्चों को देह व्यापार में ढकेल रहा है। दलालों के पास एक-दो-तीन नहीं ऐसे बच्चों की फौज है जो न सिर्फ पैसे के लालच में हैं बल्कि ग्लैमर की चकाचौंध और लुभावने वादों के दम पर न सिर्फ गरीब परिवार के बच्चों को वरन संपन्न परिवार के बच्चों को भी मन मर्जी तरीके से इस व्यापार में शामिल कर रहे हैं।

गोवा में तो ऐसे दलालों का पूरा नेटवर्क है। समुद्र तट पर बैठे हैं तो चाय-मूंगफली बेचने वालों की तरह दलाल भी आपसे पूछते चलते हैं। बताया जाता है कि यहां एक हफ्ते पहले की दलालों द्वारा डिमांड पर बुकिंग कर दी जाती है। ऐसे बच्चों के लिए उनका कोड वर्ड है-सिल्की पैक। दलालों के मुताबिक विदेशी तो बुकिंग पहले करवा कर आते हैं और पैसा उनके खाते में ट्रांसफर करा देते हैं। पर यह कहना गलत न होगा कि बाल अधिकार संरक्षण का नारा देने वाले इस देश में बच्चों का शोषण बदस्तूर जारी है।

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