बुधवार, अक्तूबर 01, 2014

 काम के नहीं अब नाम के नायक 

  मनुज बली नहीं होत है समय होत बलवान...मंत्रालय कर्मचारी संघ के सुधीर नायक पर यह बात फिट बैठती है। खनिज विभाग में सेवाएं देते हुए कर्मचारी शक्ति ने नायक बनाया तो सामने प्रशासनिक तंत्र भी बौना हो गया। लेकिन बदले हालात में इतना भी रसूख नहीं बचा कि स्वयं का ट्रांसफर भी रुकवा सकें। एक तरफा कार्यमुक्त भी कर दिए गए हैं...वैसे मछली विभाग...भी बुरा नहीं है..पर संदेश यही गया वह काम के नहीं बस नाम के नायक हैं।

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