सानिया और सोएब की शादी की राह में आखिरी अड़चन आएशा सिद्दीकी दूर हो गयी है। सोएब ने आएशा के तलाकनामें पर हस्ताक्षर कर दिया है और अब सोएब और सानिया का निकाह भी हो जाएगा है। अगर खबरों पर यकीन करें तो दोनों की शादी पहले ही हो चुकी है और अब रिसेप्शन के जरिए औपचारिक घोषणा और मेहमाननवाजी भर बाकी है। लेकिन एक सवाल मुंह बाए खड़ा है कि क्या सानिया और सोएब की यह शादी पाकिस्तान के सामने भारत की एक और कूटनीतिक हार है? अगर दोनों की शादी में उठे विवाद और उस विवाद में पाकिस्तान की भूमिका को देखें तो निश्चित तौर पर यह भारत की एक कूटनीतिक हार है। सानिया मिर्जा कोई सामान्य भारतीय लड़की नहीं हैं बल्कि वे भारत की चमकती टेनिस स्टार हैं जिन्हें चमकाने और चमकती सानिया के नाम पर सीना फुलाने के लिए मीडिया ने न जाने कितना समय और पन्ना बर्बाद किया है। एक झटके में सानिया मिर्जा भारतीय बेटी से पाकिस्तानी बहू हो गयीं। मीडिया जो कि सानिया की अदाओं पर आहे भरा करता था, सानिया के इस कदम को पचा नहीं पाया और उसने शादी रोकने के लिए एक तरह से पूरा अभियान ही चला दिया। जो काम भारत की खुफिया एजंसियों को करना चाहिए था वह काम उस भारतीय मीडिया ने किया जो कि सानिया मिर्जा को सर आंखों पर उठाये घूमता था।हो सकता है कि कुछ लोगों को यह बात नागवार गुजरे कि सानिया मिर्जा की शादी को भारत पाकिस्तान की दुश्मनी के नजरिये से नहीं देखना चाहिए।
राजनीति और कूटनीति अपनी जगह है और दोनों देशों के नागरिकों के संबंध अपनी जगह। हाल में ही टाईम्स आफ इंडिया समूह ने पीपुल टू पीपुल कन्टेक्ट बढ़ाने के लिए दोनों देशों को एक मंच पर लाने की कोशिश की थी जो इस ओर संकेत था कि दोनों देशों की सरकारें भले ही एक दूसरे के खिलाफ हों लेकिन नागरिक करीब हैं। कश्मीर ही नहीं, दिल्ली की न जाने कितनी लड़कियां पाकिस्तान में हैं और पाकिस्तान की न जाने कितनी लड़कियां भारत में बहू बनकर आयी हैं। इसलिए सानिया सोएब की शादी में आश्चर्य इसलिए नहीं है कि दो देशों के लोग शादी कर रहे हैं बल्कि आश्चर्य का विषय यह है कि सानिया मिर्जा सोएब से शादी कर रही है। यह आश्चर्य क्यों है? सानिया मिर्जा की इस शादी से कई सवाल खड़े होते हैं। आखिर ऐसा क्यों है कि पाकिस्तान में सानिया की शादी को नेशनल इवेन्ट के रूप में देखा जा रहा है? आखिर ऐसा क्यों है कि पूरी पाकिस्तानी मशीनरी इस शादी को करवाने में लग गयी? आखिर ऐसा क्यों है कि जो मौलवी इमरान की जेमाइमा से शादी को सिर्फ इस आधार पर गैर इस्लामिक करार दे रहे थे क्योंकि वे कपड़ें ढंग से नहीं पहनती हैं वही मौलवी मिनी स्कर्ट वाली सानिया के लिए पलक पावड़े बिछाए बैठे हैं? आखिर ऐसा क्यों है कि जिस सोएब मलिक को क्रिकेट की आपराधिक दुनिया का प्रतिनिधित्व माना जाता था उसके सारे गुनाह माफ करके प्रतिबंध मुक्त कर दिया जाता है? आखिर ऐसा क्यों है कि सानिया को पटाने पर शोएब ने 1.8 मिलियन डालर खर्च कर देते हैं? आखिर ऐसा क्यों है कि सानिया मिर्जा ने सिर्फ शोएब से शादी करने के नाम पर अपने पूरे खेल कैरियर को दांव पर लगा दिया? आखिर ऐसा क्यों है कि सवा सौ करोड़ लोगों की प्रतिनिधि नायिका बन चुकी सानिया मिर्जा ने उस देश में जाने का फैसला कर लिया जिसने एक साल पहले ही मुंबई पर हमला किया था? आखिर ऐसा क्यों है कि सानिया मिर्जा ने न केवल देश के प्रशंसकों के साथ धोखा किया बल्कि अपनी पारिवारिक मित्र के पति को पटा लिया, यह जानते हुए भी वह शोएब के बच्चे की मां बन चुकी है? सिर्फ शोएब ही नहीं इस पूरे प्रकरण में सानिया मिर्जा के चरित्र पर भी गंभीर सवाल खड़े होते है। यह आश्चर्य इसलिए भी नहीं है कि सानिया मिर्जा टेनिस स्टार हैं। आश्चर्य का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे मुसलमान टेनिस स्टार हैं। पहली बार 2003 में जब उन्होंने बिम्बलडन में महिलाओं का डबल्स मुकाबला जीता था तो देश ने उनको सिर आंखों पर उठाया था। संपन्न वर्ग के खेल में दखल के कारण तो ऐसा हुआ ही लेकिन एक और बड़ा कारण था कि कोई मुसलमान लड़की मिनी स्कर्ट में खेलने की वह हिम्मत दिखा रही है जो परंपरगत मुस्लिम समाज में संभव नहीं है। ऐसा संभवत: इसिलए भी हो पाया क्योंकि सानिया मिर्जा शिया मुसलमान हैं और इस्लाम की इस धारा में उदार स्वरूप मौजूद है। फिर भी सामान्य जन मानस में यही संदेश गया कि एक मुसलमान लड़की होने के बावजूद उस खेल में हस्तक्षेप जो संपन्न वर्ग का खेल है निश्चित रूप से स्वागत योग्य है। आगे उनकी सफलती की यह यात्रा जारी रही और विश्व टेनिस रैंकिंग में सिंगल्स में 27 वें नंबर तक और डबल्स में 18 वें पायदान तक ऊपर उठीं। लेकिन अपनी पारिवारिक मित्र आएशा के पति सोएब के प्रेम में पड़कर उन्होंने न केवल अपने कैरियर को चौपट कर दिया बल्कि वह सारी ख्याति खो दी जो उन्होंने एक शोख खिलाड़ी के बतौर हासिल की थी। फिर भी, भारत एक लोकतांत्रिक और सेकुलर देश है और यहां हर व्यक्ति अपनी मर्जी से अपने बारे में निर्णय करने के लिए स्वतंत्र है। सानिया मिर्जा भी किससे शादी करती हैं या नहीं करती हैं यह राष्ट्रीय चिंता का विषय नहीं है, विषय है इस विवाह प्रकरण में पाकिस्तान का हस्तक्षेप..? पाकिस्तान ने जिस तरह से शोएब का साथ दिया वह चौंकाने वाला है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने बयान दिया कि भारत में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करके जल्दबाजी की गयी और पाकिस्तान सरकार शोएब को हर प्रकार की सरकारी सहायता मुहैया करवाएगी। पाकिस्तान ने इसे राष्ट्रीय स्वाभिमान का विषय बना लिया और शोएब की शादी में कोई अड़चन न आये इसके पूरे इंतजाम किये जाने लगे। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने तो शोएब पर लगी पाबंदी तक हटा ली, गोया सानिया को पाकिस्तान ले आने का पुरस्कार दिया गया हो। लेकिन जैसा हर बार होता है, भारत सरकार ने इसे कूटनीतिक चुनौती माना ही नहीं। अगर खेल कूटनीति का हिस्सा होते हैं तो क्या खिलाड़ी कूटनीति का हिस्सा नहीं होते? और वह भी तब जब भारत में क्रिकेट के बाद टेनिस ही दूसरा सबसे चर्चित खेल बन चुका है। पाकिस्तान ने इसे कूटनीतिक और रणनीतिक जीत माना इसलिए पूरी मशीनरी इसके पीछे खड़ी हो गयी लेकिन भारत सरकार के भोंदू राजयनयिक सिर्फ टीवी देखकर चटखारे ही लेते रह गये। सानिया की इस शादी से निश्चित रूप से भारत का सिर शर्म से झुक गया है। पाकिस्तान ही नहीं वे अगर किसी अमेरिकन से भी शादी करतीं तो भी शर्म से सिर भारत का ही झुकता। कल तक जो देश सानिया मिर्जा के नाम पर राष्ट्रीयता का जाम उठाता था आज वही राष्ट्र सानिया मिर्जा की शादी से आहत महसूस कर रहा है। ऐसा संभवत: इसलिए कि सानिया मिर्जा को भारत अपनी पूंजी समझता था। लेकिन यह पूंजी इतनी आसानी से खर्च हो जाएगी इसका अंदाज शायद ही किसी को नहीं था। जो लोग देश के स्वाभिमान के प्रतीक बन जाते हैं उन लोगों को कम से कम इतना ख्याल तो रखना ही चाहिए कि उनके किसी कार्य से उस स्वाभिमानी प्रशंसक वर्ग को धक्का न लगे।
सुंदर लेख, हालांकि शादी विवाह एक निजी मामला है, मगर जब यह राष्ट्रीयता को छूने लगता है तो कहीं से भी यह निजी नहीं रह जाता | सानिया को ऐसा नहीं करना चाहिए था, जिससे देश की छवि खराब हो | हाँ, अपने प्रशंसकों को तो पहले ही वे खो चुकी हैं, अब देखना है कि निजी ज़िंदगी में भी क्या वे सब हासिल कर पातीं हैं, जिसकी तमन्ना एक आम औरत को होती है?
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