मंगलवार, अगस्त 23, 2011

हिन्दू मुसलमान में फर्क नहीं जानता भ्रष्टाचार

भोपाल। भ्रष्टाचार के विरोध में देश की जनता को लामबंद करने वाले अन्ना का विरोध तथाकथित मुस्लिम नेताओं ने यह कहते हुए शुरू कर दिया है कि हजारे के आंदोलन में भारत माता की जय और वन्देमातरम के नारे लग रहे हैं इसलिए मुसलमानों को इससे अपने आपको दूर रखना चाहिए। धर्म के इन ठेकेदारों की नसीहत पर इसलिए भी तरस आता है कि वह यह भूल जाते हैं कि भ्रष्टाचार हिन्दू और मुसलमान में फर्क करना नहीं जानता है। 
      दिल्ली में जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी द्वारा दिल्ली से प्रकाशित एक अखबार के माध्यम से की गई यह अपील पर इसलिए भी ऐतराज जताना लाजिमी है कि वह भ्रष्टाचार के विरोध में एकजुट हुए समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं। आखिर क्या वजह है कि अल्पसंख्यक समाज को जन अभियान से दूर रखने की सलाह दी जा रही है। वह क्या इसलिए कि इस्लाम में देश या मातृभूमि की पूजा करने की मनाही है। इस्लाम के सिद्धांत अपनी जगह ठीक हो सकते हैं लेकिन राष्ट्र धर्म भी तो इसी का अंग है। 
     यहां यह बताना उचित होगा कि दिल्ली में जिस इलाके पर रामलीला मैदान स्थित है उसके ठीक बगल में मुसलमानों की बड़ी आबादी रहती है। यहां रहनेवाले मुसलमान न केवल अन्ना के आंदोलन में शिरकत कर रहे हैं बल्कि वहां आने जानेवाले लोगों के लिए खाने पीने का भी इंतजाम कर रहे हैं। ऐसे में शाही इमाम की इस अपील का मुसलमानों पर कुछ खास असर होगा ऐसा लगता नहीं है।

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