पंकज शुक्ला
त्याग और वैराग्य का प्रतीक भगवा रंग इन दिनों लोगों की चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है। दयानंद और विवेकानंद जैसी विभूतियों ने भगवा वस्त्र धारण कर जहां इसे पवित्रता प्रदान की वहीं वर्तमान में देश के तथाकथित संत-बाबा इसे शर्मसार कर रहे हैं। चाहे हाल ही में सुर्खियों में आए इच्छाधारी बाबा हों या तमिल स्वामी नित्यानंद। देश के कई नामीगिरामी मठाधीश यौन शोषण जैसे मामले में फस कर अर्श से फर्श पर पहुंच गए लेकिन धर्म की आड़ में मठों पर चल रहा गैरकानूनी काम पर विराम नहीं लग पाया। इतना सब कुछ होने के बाद देश की जनता ने इसे रोकने का दुस्साह दिखाया और न ही जनता के द्वारा चुनी गई सरकारेां ने। वजह चाहे जो पर राजनेताओं का संरक्षण इन ढ़ोंगी बाबाओं को पर्याप्त मिलता रहा है। फिर चाहे कर्नाटक के मुख्यमंत्री वीएस यदुरप्पा हो या गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी। मोदी खुद स्वीकार कर चुके हैं कि नित्यानंद के संग उनके बड़े अच्छे संबंध हैं और वह कई बार नित्यानंद के आश्रम भी गए हैं। लेकिन अब सेक्सी विडियो सार्वजनिक होने के बाद स्वामी जी तो कही नहीं दिख रहे मगर इस मामले में गुजरात के मुख्मंत्री नरेन्द्र मोदी काफी परेशान हो गए है। परेशानी का कारण मोदी जी ने कुछ ही दिनों पहले वे न केवल स्वामी जी के साथ मंच पर उपस्थित थे बल्कि खुद नरेन्द्र मोदी ने यह माना था कि उनके स्वामी नित्यानंद से पुराने ताल्लुकात हैं। वे बाबा की विदेश यात्राओं से भी जुड़े रहे हैं। बात है दक्षिण के संत नित्यानंद परमहंस की, जिनका आश्रम बंगलौर में है। अभी के समय में युवा संत में इनकी गिनती होती हे लेकिन उनके ऐसे एक विडियो जिनमे नित्यानंद तमिल की दो आभिनेत्रियों के साथ अश्लील हरकत करते देखे गए और यह बात बाहर आते ही लोगो में इस संत पर गुस्सा फूट पड़ा और दक्षिण भारत में अपना वर्चस्व रखने वाले इस संत का लोगो ने खूब विरोध किया। इस पूरे मामले में अभी तक स्वामी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई हे लेकिन यह बात गुजरात के लिए इस लिए खास हो जाती है क्योकि गुजरात के मुख्यमंत्री इस संत को बहुत पहले से जानते हैं और यह हम नहीं कहते खुद मोदी जी कह चुके हैं।बात कुछ दिन पहले की है। स्वामी जी का एक प्रवचन वड़ोदरा में भी हुआ था जहां गुजरात के मुख्यमंत्री मुख्य मेहमान थे। यह कार्यक्रम 9 सितम्बर 2009 को वड़ोदरा में हुआ था जिसमें मोदी जी ने स्वामी नित्यानंद की एक पुस्तक (जीवन आनंद) विमोचन किया था। इस मौके पर नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि इन्हें मैं बहुत पहले से जनता हूं। इनके बंगलौर आश्रम में भी जा कर आया हूं। इन स्वामी जी तारीफ़ में मोदी ने कहा था कि इस समय जितने युवा संत हैं उनमें इनका स्थान बहुत ऊपर है। आखिर वजह क्या हैं यह तो नहीं बताया लेकिन मोदी जी ने यह कह दिया कि इनकी विदेश यात्रा में भी में किसी न किसी तरह जुड़े रहे हैं। मोदी के इस बयान से नरेन्द्र मोदी और राज्य भाजपा को जहां मुश्किल में डाल दिया है वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी विवादों से बच नहीं सके हैं। सवाल यह है कि अगर मोदी जी उन्हें इतने करीब से जानते हैं तो क्या उन्हें स्वामी के उन कुकर्मों की भी जानकारी थी? गुजरात के राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि बालिकाओं की शिक्षा के लिए संत ने आखिर राज्य सरकार को दो लाख रूपये क्यों दिये? ज्ञात हो कि उसी कार्यक्रम में उक्त संत नित्यानंद ने नरेन्द्र मोदी को दो लाख रूपये का चेक दिया था ताकि राज्य में लड़कियों की शिक्षा बेहतर हो सके। उस वक्त मोदी ने स्वामी जी की तारीफ करते हुए कहा था कि यह अकेले ऐसे संत हैं जो किसी राज्य सरकार को लड़कियों की शिक्षा के लिए धन दे रहे हैं। लेकिन अब स्वामी जी के वीडियो फुटेज आने के बाद गुजरात में मोदी समर्थकों की नींद हराम हो रखी है। ऐसा नहीं कि सुर्खियों में गुजरात के आने का यह पहला मामला है इससे पहले भी मालेगांव विस्फोट में राज्य स्थित डाग आश्रम के एक स्वामी जी का नाम आ चुका है। वहीं राज्य के संत आशाराम बापू का विवाद अभी थमा नहीं है। हिन्दुत्व के भगवे में छिपे इस रूप को देखकर लोगों में कशमकश बनी हुई हैं जिसमें बाबाओं के साथ राजनेताओं के बीच बना गठजोड़ भी शामिल है।
त्याग और वैराग्य का प्रतीक भगवा रंग इन दिनों लोगों की चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है। दयानंद और विवेकानंद जैसी विभूतियों ने भगवा वस्त्र धारण कर जहां इसे पवित्रता प्रदान की वहीं वर्तमान में देश के तथाकथित संत-बाबा इसे शर्मसार कर रहे हैं। चाहे हाल ही में सुर्खियों में आए इच्छाधारी बाबा हों या तमिल स्वामी नित्यानंद। देश के कई नामीगिरामी मठाधीश यौन शोषण जैसे मामले में फस कर अर्श से फर्श पर पहुंच गए लेकिन धर्म की आड़ में मठों पर चल रहा गैरकानूनी काम पर विराम नहीं लग पाया। इतना सब कुछ होने के बाद देश की जनता ने इसे रोकने का दुस्साह दिखाया और न ही जनता के द्वारा चुनी गई सरकारेां ने। वजह चाहे जो पर राजनेताओं का संरक्षण इन ढ़ोंगी बाबाओं को पर्याप्त मिलता रहा है। फिर चाहे कर्नाटक के मुख्यमंत्री वीएस यदुरप्पा हो या गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी। मोदी खुद स्वीकार कर चुके हैं कि नित्यानंद के संग उनके बड़े अच्छे संबंध हैं और वह कई बार नित्यानंद के आश्रम भी गए हैं। लेकिन अब सेक्सी विडियो सार्वजनिक होने के बाद स्वामी जी तो कही नहीं दिख रहे मगर इस मामले में गुजरात के मुख्मंत्री नरेन्द्र मोदी काफी परेशान हो गए है। परेशानी का कारण मोदी जी ने कुछ ही दिनों पहले वे न केवल स्वामी जी के साथ मंच पर उपस्थित थे बल्कि खुद नरेन्द्र मोदी ने यह माना था कि उनके स्वामी नित्यानंद से पुराने ताल्लुकात हैं। वे बाबा की विदेश यात्राओं से भी जुड़े रहे हैं। बात है दक्षिण के संत नित्यानंद परमहंस की, जिनका आश्रम बंगलौर में है। अभी के समय में युवा संत में इनकी गिनती होती हे लेकिन उनके ऐसे एक विडियो जिनमे नित्यानंद तमिल की दो आभिनेत्रियों के साथ अश्लील हरकत करते देखे गए और यह बात बाहर आते ही लोगो में इस संत पर गुस्सा फूट पड़ा और दक्षिण भारत में अपना वर्चस्व रखने वाले इस संत का लोगो ने खूब विरोध किया। इस पूरे मामले में अभी तक स्वामी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई हे लेकिन यह बात गुजरात के लिए इस लिए खास हो जाती है क्योकि गुजरात के मुख्यमंत्री इस संत को बहुत पहले से जानते हैं और यह हम नहीं कहते खुद मोदी जी कह चुके हैं।बात कुछ दिन पहले की है। स्वामी जी का एक प्रवचन वड़ोदरा में भी हुआ था जहां गुजरात के मुख्यमंत्री मुख्य मेहमान थे। यह कार्यक्रम 9 सितम्बर 2009 को वड़ोदरा में हुआ था जिसमें मोदी जी ने स्वामी नित्यानंद की एक पुस्तक (जीवन आनंद) विमोचन किया था। इस मौके पर नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि इन्हें मैं बहुत पहले से जनता हूं। इनके बंगलौर आश्रम में भी जा कर आया हूं। इन स्वामी जी तारीफ़ में मोदी ने कहा था कि इस समय जितने युवा संत हैं उनमें इनका स्थान बहुत ऊपर है। आखिर वजह क्या हैं यह तो नहीं बताया लेकिन मोदी जी ने यह कह दिया कि इनकी विदेश यात्रा में भी में किसी न किसी तरह जुड़े रहे हैं। मोदी के इस बयान से नरेन्द्र मोदी और राज्य भाजपा को जहां मुश्किल में डाल दिया है वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी विवादों से बच नहीं सके हैं। सवाल यह है कि अगर मोदी जी उन्हें इतने करीब से जानते हैं तो क्या उन्हें स्वामी के उन कुकर्मों की भी जानकारी थी? गुजरात के राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि बालिकाओं की शिक्षा के लिए संत ने आखिर राज्य सरकार को दो लाख रूपये क्यों दिये? ज्ञात हो कि उसी कार्यक्रम में उक्त संत नित्यानंद ने नरेन्द्र मोदी को दो लाख रूपये का चेक दिया था ताकि राज्य में लड़कियों की शिक्षा बेहतर हो सके। उस वक्त मोदी ने स्वामी जी की तारीफ करते हुए कहा था कि यह अकेले ऐसे संत हैं जो किसी राज्य सरकार को लड़कियों की शिक्षा के लिए धन दे रहे हैं। लेकिन अब स्वामी जी के वीडियो फुटेज आने के बाद गुजरात में मोदी समर्थकों की नींद हराम हो रखी है। ऐसा नहीं कि सुर्खियों में गुजरात के आने का यह पहला मामला है इससे पहले भी मालेगांव विस्फोट में राज्य स्थित डाग आश्रम के एक स्वामी जी का नाम आ चुका है। वहीं राज्य के संत आशाराम बापू का विवाद अभी थमा नहीं है। हिन्दुत्व के भगवे में छिपे इस रूप को देखकर लोगों में कशमकश बनी हुई हैं जिसमें बाबाओं के साथ राजनेताओं के बीच बना गठजोड़ भी शामिल है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें