राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रिय शगल मीडिया से आफ द रिकार्ड बातचीत कभी-कभी बड़ा बवंडर भी खड़ा कर देती है। ऐसा ही कुछ तब देखने को मिला जब कांग्रेस ने केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने पर अपने वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी को राष्ट्रीय प्रवक्ताओं के पैनल से हटा दिया। चतुर्वेदी एक टीवी चैनल से बातचीत के बाद आफ द रिकार्ड अपने दिल का गुबार निकाल रहे थे जिस दौरान उन्होंने कथित अभद्र टिप्पणी कर दी। चतुर्वेदी को अपनी किसी टिप्पणी पर कांग्रेस की ओर से पहली बार कार्रवाई झेलनी पड़ी हो या चेतावनी मिली हो, ऐसा नहीं है। उनके साथ कई बार यह वाकया हो चुका है। यह भी संयोग रहा कि उनकी आपत्तिजनक टिप्पणियां सदैव नाज़ुक मौकों पर ही आई हैं।पहला किस्सा तब देखने को मिला जब परमाणु करार मुद्दे पर वामदलों के संप्रग सरकार से समर्थन वापसी के बाद मनमोहन सरकार को गिरने से बचाने वाली समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर बैठकें चल रही थीं। उस दौरान बहन प्रिया दत्ता और भाई संजय दत्ता के बीच चल रही बयानबाजी पर आए अमर सिंह के बयान पर चतुर्वेदी ने कह दिया कि अमर सिंह का दिमाग खराब हो गया है और उन्हें अपना इलाज करवाना चाहिए। उस समय अमर सिंह के महत्व को देखते हुए कांग्रेस को भी यह टिप्पणी नहीं भाई और इससे पहले कि अमर सिंह इस बयान पर आपत्ति व्यक्त करते, चतुर्वेदी के खिलाफ कार्रवाई की गई और उन्हें प्रवक्ताओं के पैनल से हटा दिया गया। बाद में उनकी इस पैनल में वापसी तो हो गई लेकिन प्रवक्ता की हैसियत से उन्होंने उसके बाद से संभवत: किसी संवाददाता सम्मेलन को नहीं संबोधित किया। विभिन्न मुद्दों पर साक्षात्कार और टीवी चैनलों पर अपनी पार्टी का पक्ष रखते हुए वह जरूर नजर आए।दूसरा वाकया तब का है जब पिछले साल संप्रग-द्वितीय सरकार के गठन के बाद देश के कुछ भागों में सूखा पड़ा और महंगाई का मुद्दा गरमाया। उस दौरान चतुर्वेदी ने कृषि मंत्री शरद पवार पर निशाना साधा। उन्होंने शरद पवार को नाकाबिल बताया और कहा कि वह महंगाई रोकने में और सूखे की स्थिति से निबटने में असफल रहे हैं। इस बयान पर जब पवार की पार्टी राकांपा ने आपत्ति जताई तो कांग्रेस गंभीर हुई, यह बयान ऐसे समय था जबकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और राकांपा को साथ-साथ चुनाव लडऩा था। उस समय चतुर्वेदी के खिलाफ कोई कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिन कांग्रेस ने चतुर्वेदी को फटकार लगाते हुए अपने नेताओं से कहा कि वे अपने तथाकथित निजी विचारों को सार्वजनिक नहीं करें। चतुर्वेदी के बयान से पार्टी को दूर रखते हुए कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख जनार्दन द्विवेदी ने तब कहा था कि पार्टी को सूखे की स्थिति और अन्य संबंधित मुद्दों पर जो कुछ कहना था वह कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव के जरिए कह चुकी है। उस दौरान भी राकांपा ने चतुर्वेदी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की थी लेकिन कांग्रेस तब इसे टाल गई थी लेकिन इस बार उसे तब कार्रवाई पर मजबूर होना पड़ा जब उसने टीवी चैनल की वह क्लिपिंग देखी जिसमें चतुर्वेदी ने कथित रूप से यह कहा कि आखिर हम कब तक उनका (पवार का) कचरा उठाएंगे। हमेशा नाजुक मौके पर अपनी टिप्पणियों से कार्रवाई के घेरे में आने वाले चतुर्वेदी इस बार यह भूल गये कि यह वह समय है जबकि महिला आरक्षण विधेयक, वित्ता विधेयक और परमाणु विधेयक पर पार्टी को राकांपा के समर्थन की सख्त जरूरत है। पवार तो महिला आरक्षण विधेयक के विरोधियों को मनाने की सरकारी कोशिशों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं। ऐसे में अपने दिल का गुबार निकालते वक्त इस बात से ध्यान हटाना कि टीवी कैमरा चालू है, चतुर्वेदी को भारी पड़ गया। वैसे कांग्रेस में माना जाता है कि चतुर्वेदी आम कांग्रेसजनों की बात करते हैं। उन्होंने जब अमर सिंह के खिलाफ टिप्पणी की थी तो कांग्रेसजनों ने इसे मुंहतोड़ जवाब बताया था लेकिन पार्टी आलाकमान को राजनीतिक मजबूरियों के चलते वह बयान नहीं भाया। चतुर्वेदी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह उन चापलूस नेताओं की श्रेणी में नहीं हैं जो कांग्रेस आलाकमान तक सही बात नहीं पहुंचने देते। लेकिन चतुर्वेदी यहां यह भूल जाते हैं कि सही बात को आजकल तभी सही माना जाता है जब उससे निजी या संगठन स्तर पर कोई नुकसान नहीं होता हो, नहीं तो ऐसी बात करने वाले पर ही कार्रवाई होती है।बहरहाल, अब देखना यह है कि मौके-बेमौके अपने बयानों से कांग्रेस आलाकमान के लिए सिरदर्द साबित होते रहे चतुर्वेदी आगे क्या गुल खिलाते हैं।
गुरुवार, मार्च 25, 2010
आफ द रिकार्ड में डूबे प्रवक्ता
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