ग्लोबल वार्मिंग को लेकर जोरदार बहस छिड़ी है। इस पर भी कि इसकी वजहें क्या हैं। अब एक अध्ययन ने इन सवालों के जवाब देने का दावा किया है। इसमें कहा गया है कि 95 फीसदी संभावना तो यही है कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए इनसानी गतिविधियां जिम्मेदार हैं, जबकि ऐसी संभावना सिर्फ पांच फीसदी ही है कि इसके पीछे प्राकृतिक कारण हों।यह अध्ययन मेट ऑफिस हैडले सेंटर, एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी, मेलबर्न यूनिवर्सिटी और कनाडा की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है। जलवायु पर मानवीय गतिविधियों का असर सिर्फ बढ़ते तापमान में ही नहीं, बल्कि समुद्रों के बढ़ते खारेपन, बढ़ती आद्र्रता में भी देखा जा सकता है। इसके अलावा बारिश के पैटर्न में बदलाव, आर्कटिक समुद्री हिम क्षेत्र के तेजी से घटने से भी इसका पता चलता है। यह हिम क्षेत्र छह लाख वर्ग किलोमीटर प्रति दशक के हिसाब से घट रहा है। अध्ययन के मुताबिक इंटरगर्वमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने भी जलवायु परिवर्तन में इनसान की भूमिका को समझा है। 2007 में आईपीसीसी ने कहा था कि अंटार्कटिक पर ग्लोबल वार्मिंग के फिलहाल कोई सुबूत नहीं दिखते हैं। हालांकि अब पैनल का कहना है कि ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि मानवीय गतिविधियों के चलते अब वहां भी असर दिखने लगा है।वैज्ञानिकों ने हाल में हुए 100 अध्ययनों की समीक्षा की और देखा कि इनमें से ज्यादातर में पाया गया था कि ग्लोबल वार्मिंग की वजहें इनसानी गतिविधियां ही हैं। प्रमुख शोधकर्ता पीटर स्टॉट बताते हैं कि हमारे पास जो सुबूत हैं, वे बताते हैं कि ऐसी संभावना पांच फीसदी से भी कम ही है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजहें प्राकृतिक हों। अध्ययन में पाया गया कि 1980 से अब तक वैश्विक तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी हुई है। तापमान बढऩे से धरती की सतह से ज्यादा पानी वाष्प में बदल रहा है, जिससे आद्र्रता और वर्षा की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है।
मंगलवार, मार्च 16, 2010
इनसान ही है ग्लोबल वार्मिंग की वजह
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ab pata chalaa
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