देश के प्रसिद्ध योग गुरू बाबा रामदेव मौजूदा व्यवस्था में परिवर्तन के लिए देश में सत्ता परिवर्तन पर बल देते हैं। यह सत्ता परिवर्तन किस तरह होगा इसकी जानकारी अब तक स्वयं रामदेव को भी नहीं है। इसके बाद इस बात की संभावना बलवती होती है कि भारत स्वाभिमान आंदोलन के माध्यम से योगगुरू देश की अन्य राजनैतिक पार्टियों को गीदड़ भभकी दे या तो उल्लू सीधा करने की फिराक में है या फिर इस गलतफहमी में हैं कि वह देश चलाने में सक्षम है। बावजूद इसके बाबा रामदेव ने देश की जनता को अब तक यह नहीं बताया कि वर्तमान कुरूतियों के बीच सत्ता परिवर्तन कर देश को भ्रष्टाचार मुक्त कर विश्व गुरू का दर्जा दिलाने वाले लोग कौन से होंगे। क्या वह पतांजलि योग पीठ से होंगे या फिर भारत स्वाभिमान आंदोलन से अथवा वह आयातित होंगे?
बाबा रामदेव भले ही देश की जनता के सामने सुशासन और शिष्टाचार का विचार प्रचारित कर आगामी लोकसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन की बात कह रहे हैं लेकिन क्या भ्रष्टाचार, अनाचार और अत्याचार के बीच क्या इस बात की कल्पना की जा सकती है, कि देश में जनहित सोच रखने वाली सरकार काबिज होगी। वह भी तब जब देश के शासन और प्रशासन की रग-रग में भ्रष्टाचार समा चुका है। देश को बदलना तो लोगों में वैचारिक और आध्यात्मिक क्रांति का सूत्रपात करना होगा। यह न तो कोई एक मिनट या दिन का काम है और ना ही यह जादू की छड़ी घुमाने से होने वाला है। इसके लिए सत्त आन्दोलन की आवश्यकता है और अभी तक वह हुआ नहीं है। योग के माध्यम से स्वदेशी विचार धारा का सूत्रपात करने वाले बाबा रामदेव की मुहिम भी अब तक इतनी कारगर सिद्ध नहीं हुई है कि लोग बाबा रामदेव की इच्छानुरूप उनके सपनों का भारत आगामी लोकसभा तक बना सकें। तो क्या फिर रामदेव के सपनों का सत्ता परिवर्तन उसी तरह होगा जैसा अब तक देश की जनता भाजपा और कांग्रेस को सत्ता में बैठाकर करती आई है। फिर इसकी क्या गारंटी कि बाबा रामदेव की पार्टी देश में शासन करती आ रही अन्य राजनैतिक पार्टियों से अलग होगी? बाबा यह नहीं बता रहे हैं कि लोकसभा में पहुंचने वाले देश की अरब भर जनता के कर्णधार पतांजलि योग पीठ के उत्पाद बनेंगे या फिर स्वाभिमान पार्टी की फैक्ट्री में तराशे गए लोग? बाबा को यह बताने में भी संकोच है कि वह अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए क्या दूसरे दलों से लोग उधार लेंगे।
वह यह बताने में संकोच नहीं करते कि भारत निर्माण के लिए 40 से 50 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता है। यह राशि भी काले धन की अर्थव्यवस्था को खत्म करके आसानी से हासिल की जा सकती है। बस सरकार को बड़े नोट रिवोल करने के आदेश जारी करना है। इससे स्विस सहित देश के बाहर साठ से अधिक देशों में जमा काला धन बाहर आ जाएगा। वह 2014 को होने वाले लोकसभा चुनाव में सभी 543 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की योजना पर अमल कर रहे हैं। जब चुनाव लड़ा जाएगा तो जनता को भरमाने के लिए कोई मुद्दा भी चाहिए। स्वामी रामदेव देश की जनता को यह ख्वाब दिखा रहे हैं कि वह स्विस बैंकों में देश का जमा 300 लाख करोड़ रुपया भारत में लाएंगे। देश का पैसा देश में वापस आए यह अच्छी बात है। लेकिन क्या स्विस बैंकों से पैसा वापस लेना इतना ही आसान है, जैसे एटीएम से पैसा निकाल लेना ? क्या स्विस बैंकों से भारत सरकार या किसी भी देश की सरकार यह कहेगी कि हमारे भ्रष्ट लोगों का जो पैसा आपके यहां जमा है, उसे वापस कर दो और स्विस बैंक वापस कर देगा? विदशों में सम्पत्ति खरीदना क्या भारत के पैसे को विदेशों में ले जाना नहीं है? स्वामी रामदेव को देश की जनता को भी बताना चाहिए कि उन्होंने कुछ ही सालों में साठ-सत्तर हजार करोड़ का विशाल सामा्रज्य कैसे खड़ा कर लिया ? यह बात अलग है कि योगगुरू बाबा रामदेव लोकसभा चुनाव के पहले प्रत्येक जिले में पांच लाख व्यक्तियों को इससे जोडऩा चाहते हैं। आंदोलन के उद्देश्य के बारे में वह कहते हैं कि देश से भ्रष्टाचार समाप्त करके ही रहेंगे। लेकिन उनकी ओर से तैयार की जा रही कार्यकर्ताओं की टीम ही नई सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। वह राजनीतिक साम्राज्य खड़ा करने के लिए काम नहीं कर रहे हैं। वह देश में भ्रष्टाचार मुक्त तंत्र विकसित करना चाहते हैं। या उन्होंने सत्ता के खेल को समझ लिया है और इस खेल में अपने आपको पाकसाफ बताकर नए भारत के निर्माण राजनैतिक दल का निर्माण कर लिया है। इसके माध्यम से वह हर नागरिक को योग के माध्यम से वोट डालने की कहानी सुनाकर देश की राजनीति पर काबिज होने का सपना देख रहे हैं।
आगे आगे देखिए .. होता है क्या ??
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